मित्रो,
उत्तराखंड राज्य की जनता को उसकी बुनियादी
जरूरतों- जल-जंगल, जमीन से, उसके जिन्दा रहने के मूल अधिकारों से और उसे उसकी अपनी सांस्कृतिक पहचान से तेजी से बेदखल किया जा रहा है . राज्य के गठन के इतने वर्षों बाद आज उत्तराखंड की जनता स्वयं को ठगा
सा महसूस कर रही है. उत्तराखंड आन्दोलन शहादतों का खून अभी सूखा भी नहीं है कि विकास के नाम पर सब कुछ बेच डालने की होड़ मची
हुयी है.
उत्तराखंड पीपुल्स फोरम, उत्तराखंड के सभी गणमान्य नागरिकों, बुद्धिजीवियों, विचारकों,पत्रकारों, संस्कृतिकर्मियों और लोकतंत्र पसंद ताकतों से अपील करता है कि उत्तराखंड के जन-जीवन से जुड़े आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरण, जल-जंगल और जमीन के प्रश्नों पर उत्तराखंड और उत्तराखंड से बाहर भी लगातार बहस संचालित की जाये और विकास के नाम पर मची लूट के खिलाफ उत्तराखंड के विकास की एक नयी जनोन्मुख अवधारणा को जनता के सामने लाया जाय. विकास- जिसके केंद्र में उत्तराखंड का सबसे पीछे रह गया आखिरी आदमी हो .
इसी प्रयास में इस फोरम ने अपनी
यात्रा जुलाई'12 में उत्तराखंड में जल-विद्युत
परियोजनाओं पर दिल्ली में एक गोष्ठी के आयोजन के साथ की थी . तमाम साथियों के
स्नेह और आग्रह के साथ इस वर्ष हमने पहला कार्यक्रम दिनांक 27 अप्रैल'13 को वीर चंद्रसिंह
गढ़वाली की स्मृति में "उत्तराखंड: सपने और हकीकत" विषय पर गोष्ठी के
साथ किया .
उत्तराखंड पीपुल्स फोरम में आप सभी का
स्वागत है. आपकी राय हमारे लिए, उत्तराखंड के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस पहल के
परिप्रेक्ष्य में आपके सुझावों का स्वागत है.